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शहीद नारायण सिंह

56 साल बाद बर्फ से मिले शहीद नारायण सिंह , तिरंगे में लिपटा शरीर पहुंचा घर

56 साल बाद बर्फ से मिले शहीद नारायण सिंह, तिरंगे में लिपटा शरीर पहुंचा घर, चमोली में होगा अंतिम संस्कार

चमोली जिले के कोलपुड़ी गांव के वीर सपूत, नारायण सिंह बिष्ट, जिनका 56 साल पहले हुए विमान हादसे में निधन हो गया था, का पार्थिव शरीर बुधवार को भारतीय सेना के विमान द्वारा गौचर लाया गया। नारायण सिंह बिष्ट 1968 में वायुसेना के एक हादसे में शहीद हो गए थे, और उनका शव अब 56 साल बाद बर्फ में दबा मिला। इस दुखद खोज ने एक बार फिर उनके परिवार के पुराने घावों को हरा कर दिया है।

56 साल बाद मिला शहीद का शरीर

भारतीय सेना का विशेष विमान 2 अक्टूबर को शहीद नारायण सिंह बिष्ट का शव लेकर चमोली जिले के गौचर पहुंचा। गौचर में 6 ग्रेनेडियर बटालियन के जवानों ने शहीद को सम्मानपूर्वक सलामी दी। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया गया, जहां से गुरुवार सुबह उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी, थराली में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।

अंतिम संस्कार की तैयारियां

चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि शहीद का शरीर बुधवार को विशेष विमान द्वारा देहरादून से गौचर लाया गया। गौचर और कर्णप्रयाग में उचित सुविधाओं की कमी के चलते शव को रुद्रप्रयाग के सैनिक कैंप में रखा गया। गुरुवार सुबह जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शहीद नारायण सिंह का परिवार

नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे और कोलपुड़ी गांव के प्रधान जयवीर सिंह बिष्ट ने बताया कि नारायण सिंह की शादी 1962 में बसंती देवी से हुई थी, जो उस समय सिर्फ 9 साल की थीं। 1968 में विमान हादसे के बाद उनका शव नहीं मिला था, जिससे परिवार की उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो गई थीं। बाद में परिवार ने बसंती देवी का विवाह नारायण सिंह के छोटे भाई से करवा दिया था। बसंती देवी का भी निधन हो चुका है। प्रधान जयवीर सिंह के अनुसार, उनकी ताई (बसंती देवी) को सेना से जीवित रहते कोई सहायता नहीं मिली थी।

शहीद नारायण सिंह

विमान हादसे के बाद की खोज

7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में 102 लोग सवार थे। हादसे के बाद सेना ने कई बार सर्च ऑपरेशन चलाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2003 में विमान का मलबा मिला, जबकि 2019 में पांच जवानों के अवशेष बरामद किए गए थे। अब 2024 में चार अन्य जवानों के अवशेष मिले हैं, जिनमें उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट भी शामिल थे। वे भारतीय सेना की मेडिकल कोर में तैनात थे।

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