( UKSSSC ) उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 751 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए

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( UKSSSC ) उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 751 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ( UKSSSC ) ने समूह ‘ग’ के विभिन्न पदों के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया की घोषणा की है। इसके तहत 751 रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी, जिनके लिए इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर 1 नवंबर 2024 तक आवेदन कर सकते हैं।

रिक्त पदों का विवरण:

1. डाटा एंट्री ऑपरेटर: 3 पद (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अंतर्गत)
2. कम्प्यूटर सहायक सह स्वागतकर्ता: 3 पद (राज्यपाल सचिवालय उत्तराखंड के अंतर्गत)
3. कनिष्ठ सहायक: 465 पद (उत्तराखंड राज्य के विभिन्न विभागों में)
4. स्वागती: 5 पद (राज्य सम्पत्ति विभाग के अंतर्गत)
5. आवास निरीक्षक: 1 पद
6 मेट: 268 पद (सिंचाई विभाग के अंतर्गत)
7. कार्यपर्यवेक्षक: 6 पद

uksssc

चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया में दो चरण होंगे:

1. प्रथम चरण: लिखित प्रतियोगी परीक्षा, जिसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे। यह परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में आयोजित की जा सकती है।
2. द्वितीय चरण: डाटा एंट्री ऑपरेटर, कम्प्यूटर सहायक सह स्वागतकर्ता, और कनिष्ठ सहायक के पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों को टंकण (टाइपिंग) परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी।

परीक्षा की तिथि एवं प्रवेश पत्र

परीक्षा की अनुमानित तिथि आयोग की वेबसाइट और दैनिक समाचार पत्रों में जारी की जाएगी। प्रवेश पत्र केवल आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकेंगे। डाक द्वारा कोई प्रवेश पत्र नहीं भेजे जाएंगे। अभ्यर्थियों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से भी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, इसलिए आवेदन में सही मोबाइल नंबर और ईमेल पता देना अनिवार्य है।

महत्वपूर्ण निर्देश

अभ्यर्थियों को आयोग की वेबसाइट को नियमित रूप से देखना चाहिए ताकि वे चयन प्रक्रिया, परीक्षा कार्यक्रम, और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं से अवगत रह सकें।

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 1 नवंबर 2024 तक खुली है। इच्छुक उम्मीदवार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

56 साल बाद बर्फ से मिले शहीद नारायण सिंह , तिरंगे में लिपटा शरीर पहुंचा घर

शहीद नारायण सिंह

56 साल बाद बर्फ से मिले शहीद नारायण सिंह, तिरंगे में लिपटा शरीर पहुंचा घर, चमोली में होगा अंतिम संस्कार

चमोली जिले के कोलपुड़ी गांव के वीर सपूत, नारायण सिंह बिष्ट, जिनका 56 साल पहले हुए विमान हादसे में निधन हो गया था, का पार्थिव शरीर बुधवार को भारतीय सेना के विमान द्वारा गौचर लाया गया। नारायण सिंह बिष्ट 1968 में वायुसेना के एक हादसे में शहीद हो गए थे, और उनका शव अब 56 साल बाद बर्फ में दबा मिला। इस दुखद खोज ने एक बार फिर उनके परिवार के पुराने घावों को हरा कर दिया है।

56 साल बाद मिला शहीद का शरीर

भारतीय सेना का विशेष विमान 2 अक्टूबर को शहीद नारायण सिंह बिष्ट का शव लेकर चमोली जिले के गौचर पहुंचा। गौचर में 6 ग्रेनेडियर बटालियन के जवानों ने शहीद को सम्मानपूर्वक सलामी दी। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया गया, जहां से गुरुवार सुबह उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी, थराली में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।

अंतिम संस्कार की तैयारियां

चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि शहीद का शरीर बुधवार को विशेष विमान द्वारा देहरादून से गौचर लाया गया। गौचर और कर्णप्रयाग में उचित सुविधाओं की कमी के चलते शव को रुद्रप्रयाग के सैनिक कैंप में रखा गया। गुरुवार सुबह जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शहीद नारायण सिंह का परिवार

नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे और कोलपुड़ी गांव के प्रधान जयवीर सिंह बिष्ट ने बताया कि नारायण सिंह की शादी 1962 में बसंती देवी से हुई थी, जो उस समय सिर्फ 9 साल की थीं। 1968 में विमान हादसे के बाद उनका शव नहीं मिला था, जिससे परिवार की उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो गई थीं। बाद में परिवार ने बसंती देवी का विवाह नारायण सिंह के छोटे भाई से करवा दिया था। बसंती देवी का भी निधन हो चुका है। प्रधान जयवीर सिंह के अनुसार, उनकी ताई (बसंती देवी) को सेना से जीवित रहते कोई सहायता नहीं मिली थी।

शहीद नारायण सिंह

विमान हादसे के बाद की खोज

7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में 102 लोग सवार थे। हादसे के बाद सेना ने कई बार सर्च ऑपरेशन चलाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2003 में विमान का मलबा मिला, जबकि 2019 में पांच जवानों के अवशेष बरामद किए गए थे। अब 2024 में चार अन्य जवानों के अवशेष मिले हैं, जिनमें उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट भी शामिल थे। वे भारतीय सेना की मेडिकल कोर में तैनात थे।

car accidents विद्युत विभाग की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त: एक की मौत, दो घायल

car accidents

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विद्युत विभाग की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त: एक की मौत, दो घायल

ओखलकांडा (नैनीताल) – 02 अक्टूबर

ओखलकांडा ब्लॉक में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज फिर एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। लूगड़ से तीन किलोमीटर आगे पटरानी पुल के पास एक विद्युत विभाग की गाड़ी करीब 150 मीटर गहरी खाई में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

 इस हादसे में एक युवती की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। मृतक युवती पटरानी की निवासी थी, जबकि घायल स्थानीय क्षेत्र के रहने वाले हैं।

 

 

खबरसार

2 October : उत्तराखंड के लिए काला दिन

2 October

2 October: उत्तराखंड के लिए काला दिन

 

देशभर में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड के लिए यह दिन एक दुखद अध्याय है। 1994 में इसी दिन मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें कई लोग शहीद हो गए और महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी घटनाएं हुईं। इस वीभत्स घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया।

जब पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती पर अहिंसा और सत्याग्रह के आदर्शों का सम्मान कर रहा था, वही 2 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के लिए एक गहरे घाव के रूप में याद किया जाता है। यह दिन उत्तराखंड आंदोलन के उन वीर आंदोलनकारियों की शहादत को समर्पित है, जिन्होंने राज्य की मांग के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मुजफ्फरनगर गोलीकांड ने राज्य आंदोलन को न सिर्फ झकझोर दिया, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लोगों में गुस्से और दुख की लहर दौड़ा दी।

क्या था मुजफ्फरनगर कांड?

उस समय उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में रैली थी, और पहाड़ों से भारी संख्या में लोग शामिल हुए थे। रामपुर तिराहे पर उन्हें रोका गया और लाठीचार्ज के बाद गोलीबारी शुरू हो गई। इस कांड की विभीषिका आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। इस घटना से कई नेता उभरे, लेकिन दोषियों को आज तक सजा नहीं मिल पाई।

2 अक्टूबर 1994 को, जब उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन अपने चरम पर था, मुजफ्फरनगर में प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण रैली के रूप में अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे। दुर्भाग्य से, उस दिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने अहिंसक आंदोलनकारियों पर गोली चला दी, जिसमें कई निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इन आंदोलनकारियों का उद्देश्य केवल यह था कि उत्तराखंड को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान हो सके।

2 October

गांधी के आदर्श और गोलीकांड

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर, जहां पूरा देश अहिंसा, सत्य और शांति की बात करता है, वहीं उत्तराखंड आंदोलन के उन वीर आंदोलनकारियों के लिए यह दिन एक त्रासदी का प्रतीक है। मुजफ्फरनगर की घटना ने गांधी के आदर्शों के विपरीत, एक क्रूरता और हिंसा का चेहरा दिखाया, जिसने उत्तराखंड आंदोलन को और भी मजबूत कर दिया। इस कांड ने न केवल उत्तराखंड के लोगों के मन में गुस्सा भर दिया, बल्कि यह मांग भी तेज हो गई कि पहाड़ी क्षेत्रों को एक अलग पहचान मिले। मुजफ्फरनगर गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में हर साल 2 अक्टूबर को उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धांजलि सभाएं और प्रदर्शन किए जाते हैं। यह दिन उत्तराखंड के लोगों के लिए बलिदान, संघर्ष और एकता का प्रतीक बन चुका है।

उत्तराखंड का सपना

इस गोलीकांड ने आंदोलन की गति को और तेज कर दिया, और अंततः उत्तराखंड को 9 नवंबर 2000 को भारत का 27वां राज्य घोषित किया गया। आज, उत्तराखंड के लोग उन वीर शहीदों को नहीं भूलते, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस राज्य को वास्तविकता में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ये वे वीर आंदोलनकारी थे जिन्होंने 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

1-रवींद्र रावत
2-गिरीश कुमार भद्री
3-सतेंद्र सिंह चौहान
4-सूर्य प्रकाश थपलियाल
5-राजेश लखेड़ा
6-अशोक कुमार कोशिव

2 October

निष्कर्ष

2 अक्टूबर जहां एक ओर पूरे देश के लिए गांधीजी के आदर्शों का दिन है, वहीं उत्तराखंड के लिए यह दिन शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है। यह एक ऐसा काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता, और इस दिन उन आंदोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान को नमन करने का दिन है, जिन्होंने उत्तराखंड को एक अलग राज्य बनाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

श्रीनगर में ABVP ने लहराया जीत का परचम

श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने जीत हासिल की है।

श्रीनगर स्थित बिड़ला परिसर में एबीवीपी के उम्मीदवार जसवंत राणा ने 200 से अधिक वोटों के अंतर से “जय हो” संगठन के उम्मीदवार को हराकर अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया। इस चुनाव में “जय हो” संगठन से वीरेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे, जबकि “इंडियन स्टूडेंट्स वॉइस” से सौरभ चंद्र तीसरे स्थान पर रहे। विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के पद पर भी एबीवीपी के आशीष पंत को जीत मिली।

ABVP

पौड़ी के बीजीआर परिसर में छात्र संघ अध्यक्ष पद पर एबीवीपी की अभिरुचि नौटियाल निर्वाचित हुईं। खास बात यह है कि वह 24 साल बाद यहां की दूसरी महिला अध्यक्ष बनी हैं। इससे पहले 2000 में संतोष रावत पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।

वहीं, बादशाहीथौल के स्वामी रामतीर्थ परिसर में छात्र संघ चुनाव बिना किसी मुकाबले के संपन्न हुआ। यहां अध्यक्ष और महासचिव समेत सभी प्रमुख पदों पर एबीवीपी के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। आदित्य रतूड़ी अध्यक्ष और अनुज सजवाण महासचिव बने।

श्रीनगर गढ़वाल में महिला की आत्महत्या, पहचान अज्ञात

श्रीनगर गढ़वाल

श्रीनगर गढ़वाल में महिला की आत्महत्या, पहचान अज्ञात

srinagar suicide

उत्तराखंड के टिहरी जिले के श्रीनगर गढ़वाल के पास एक महिला ने आत्महत्या कर ली है। पुलिस ने चौरास पुल के पास नदी से महिला का शव बरामद किया है, लेकिन अब तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है।

घटना की जानकारी सोमवार, 30 सितंबर की दोपहर को मिली, जब कीर्तिनगर थाना क्षेत्र में सूचना मिली कि एक महिला ने नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या की है। चौरास पुलिस चौकी के प्रभारी यशवंत सिंह खत्री ने बताया कि पुलिस टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर सर्च ऑपरेशन चलाया और कुछ समय बाद महिला का शव बरामद कर लिया।

महिला की उम्र करीब 30 से 35 साल के बीच बताई जा रही है। महिला ने क्रीम रंग का सूट और नीले रंग का पजामा पहना हुआ था। उसके पास से कोई दस्तावेज़ या ऐसा सामान नहीं मिला जिससे उसकी पहचान हो सके।

पुलिस ने महिला से संबंधित जानकारी आसपास के थानों और चौकियों में भेज दी है। शव को श्रीकोट के बेस अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है और शिनाख्त के बाद ही अगली कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। फिलहाल, आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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KARANPRAYAG के बहुगुणा नगर में भू-धंसाव 39 परिवार प्रभावित

कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में भू-धंसाव 39 परिवार प्रभावित, विस्थापन और मुआवजे की कार्यवाही जारी

KARANPRAYAG (चमोली, उत्तराखंड) : चमोली जिले के कर्णप्रयाग क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बहुगुणा नगर में भू-धंसाव की समस्या गहराती जा रही है। इस आपदा के कारण 39 परिवारों का जीवन प्रभावित हुआ है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने रविवार को प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया और स्थानीय निवासियों की समस्याओं को समझा।

प्रभावित परिवारों के लिए राहत और मुआवजा:

बहुगुणा नगर में भू-धंसाव के चलते कुल 39 परिवारों को विस्थापित करने की योजना बनाई गई है। प्रशासन की ओर से बमोथ और ग्वाड क्षेत्रों में इन परिवारों के पुनर्वास का प्रस्ताव राज्य सरकार को पहले ही भेजा जा चुका है।

एसडीएम द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भू-धंसाव से प्रभावित चार परिवारों को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की कटिंग के कारण मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि एक अन्य परिवार का मुआवजा प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है। शेष 34 परिवारों के लिए मुआवजा सर्किल रेट के आधार पर निर्धारित किया गया है, और इस दिशा में मूल्यांकन की प्रक्रिया चल रही है।

सिंचाई विभाग का हस्तक्षेप:

इस समस्या के समाधान के लिए सिंचाई विभाग ने भी अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। विभाग द्वारा बहुगुणा नगर के भू-धंसाव क्षेत्र के उपचार के लिए 41 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है। इस डीपीआर के तहत, क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने और भविष्य में भू-धंसाव की घटनाओं को रोकने के उपायों पर काम किया जाएगा।

KARANPRAYAG

जिलाधिकारी का आश्वासन:

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने प्रभावित परिवारों को आश्वस्त किया कि प्रशासन उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि भू-धंसाव की स्थिति और इसके कारणों का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा, और इस आधार पर राज्य सरकार को मामले के शीघ्र निपटान के लिए अवगत कराया जाएगा।

निष्कर्ष:

बहुगुणा नगर में भू-धंसाव की इस गंभीर स्थिति से प्रभावित लोगों की समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन तेजी से कदम उठा रहा है। विस्थापन और मुआवजे की प्रक्रिया जारी है, और प्रशासनिक प्रयासों से जल्द ही प्रभावित परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है।

UTTARAKHAND WEATHER ALERT: कई जिलों में और बारिश की संभावना 29 सितंबर

UTTARAKHAND WEATHER ALERT: कई जिलों में और बारिश की संभावना

29/09/2024

उत्तराखंड में लोगों को बारिश से जल्द राहत नहीं मिलने वाली है। मौसम विभाग ने एक बार फिर पिथौरागढ़, बागेश्वर, देहरादून, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में बारिश की संभावना जताई है। येलो अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

मानसून का मौसम खत्म होने के साथ ही देहरादून में भारी बारिश हो रही है और ऐसा लग रहा है कि बारिश अभी रुकने वाली नहीं है। इस मौसम में लगातार हो रही बारिश ने पहाड़ी और मैदानी इलाकों में काफी नुकसान पहुंचाया है। आज कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना है और लोगों को संभावित खतरों से आगाह करने के लिए येलो अलर्ट जारी है।

Uttarakhand weather alert

मौसम विभाग ने पूरे राज्य में हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान जताया है। कुमाऊं क्षेत्र के सभी जिलों के साथ-साथ देहरादून, रुद्रप्रयाग और चमोली समेत गढ़वाल के कुछ हिस्सों में गरज के साथ भारी बारिश की संभावना है। इन इलाकों में तेज बारिश और बिजली गिरने की भी संभावना है। पिथौरागढ़ और बागेश्वर के कुछ इलाकों में बहुत भारी बारिश की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, आज फिर कई जिलों में भारी बारिश होगी। देहरादून में आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे, कुछ इलाकों में गरज के साथ बारिश हो सकती है। दिन में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और रात में 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है।

इस मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। भूस्खलन और मलबे के कारण कई सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, जिन्हें साफ करने के प्रयास जारी हैं। हालांकि, लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण सड़क यातायात में और भी व्यवधान आ रहा है, जिससे परिवहन को सुचारू रूप से फिर से शुरू करना मुश्किल हो रहा है।

RAMLEELA – जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला पर कर रहे हैं शोध

RAMLEELA

क्या आप भी जानना चाहेंगे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की RAMLEELA का ऐतिहासिक महत्व

RAMLEELA

श्रीनगर: उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक आयोजनों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। यहां आयोजित होने वाले मेले और त्यौहारों का आकर्षण हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसी कड़ी में जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला और यहां की बोली से प्रभावित होकर शोध के लिए सात समुद्र पार आकर यहां की रामलीला पर अध्ययन कर रहे हैं।

पॉल का यह शोध मुख्य रूप से रामलीला के दर्शकों पर केंद्रित है। वह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस पारंपरिक मंचन का दर्शकों पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे इससे क्या सीखते हैं। पॉल के अनुसार, रामलीला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि इसके माध्यम से समाज और लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को भी समझा जा सकता है। उनका शोध पौड़ी, श्रीनगर और अल्मोड़ा की रामलीला के मंचन पर आधारित है।

रामलीला देखने के लिए आए पॉल

RAMLEELA

पॉल ने बताया कि दो साल पहले वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोककला एवं सांस्कृतिक निष्पादन केंद्र में उत्तराखंड की संस्कृति को समझने के लिए आए थे। इस बार विशेष रूप से वह रामलीला पर गहन शोध करने के उद्देश्य से पौड़ी और श्रीनगर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि रामलीला का गहराई से अध्ययन करने के लिए इसका मंचन देखना बेहद जरूरी है। इसके बाद पॉल अल्मोड़ा भी जाएंगे।

पौड़ी की रामलीला का ऐतिहासिक महत्व

पौड़ी की रामलीला का अपना एक खास इतिहास है। 1897 में शुरू हुई इस रामलीला को 125 साल पूरे हो चुके हैं और इसे अब तक निरंतर आयोजित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस रामलीला को युनेस्को ने धरोहर की श्रेणी में रखा है। पारसी शैली में मंचित होने वाली इस रामलीला में हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी, अवधि और बृज की चौपाइयों का प्रयोग किया जाता है। वर्ष 2002 से इसमें महिला पात्रों को भी शामिल किया जाने लगा है, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ गया है।

उत्तराखंड की रामलीला पर इस प्रकार का अंतरराष्ट्रीय शोध उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक साबित हो सकता है।

FMD VACCINATION – नैनीसैण क्षेत्र और कनखुल क्षेत्र (कपीरी पट्टी) में

FMD VACCINATION

FMD VACCINATION- नैनीसैण क्षेत्र और कनखुल क्षेत्र (कपीरी पट्टी) में । नैनीसैण, उत्तराखंड – राज्य के पशुधन को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के उद्देश्य से FMD (खुरपका-मुंहपका) रोग के टीकाकरण का पंचम चरण क्षेत्र में प्रारंभ हो गया है। इस अभियान के तहत कनखुल के पशुधन प्रसार अधिकारी वंशिका बिष्ट …

कृपया पूरा पढ़िए…

27 सितंबर इन जिलों में भारी बारिश की संभावना

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उत्तराखंड में अगले 4-5 दिनों में मानसून विदा होने की संभावना है

इस साल मानसून सीजन के दौरान बारिश की मात्रा सामान्य के करीब रही। पिछले 24 घंटों में देहरादून, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग सहित कई जगहों पर भारी बारिश दर्ज की गई है। पिथौरागढ़, चमोली और टिहरी में भी तेज बारिश हुई है, और अगले 24 घंटों में इन जिलों में फिर से तेज बारिश की संभावना जताई गई है।

हाल ही में देहरादून सहित मैदानी क्षेत्रों में तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि पहाड़ी जिलों में तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन अब मौसम का पैटर्न बदलने की संभावना है। उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, अगले 24 घंटों में टिहरी, पौड़ी, देहरादून, चमोली और रुद्रप्रयाग में तेज बारिश की संभावना है, जबकि बागेश्वर में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। कुमाऊं में अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में भी तेज बारिश हो सकती है।

27 सितंबर: इन जिलों में भारी बारिश की संभावना

27 सितंबर को बागेश्वर, पिथौरागढ़, नैनीताल और चंपावत में तेज बारिश होने की संभावना है। हालांकि, गढ़वाल मंडल में इतनी भारी बारिश की संभावना नहीं है। 28 सितंबर को नेपाल के मौसम प्रणाली का असर कुमाऊं के जिलों पर दिख सकता है, जिससे तेज बारिश होने की संभावना बनी हुई है।

बद्रीनाथ धाम हादसा: पिता को बचाने नदी में कूदे बेटे का वीडियो आया सामने, निर्माण कंपनियों की लापरवाही उजागरबद्रीनाथ धाम हादसा: पिता को बचाने नदी में कूदे बेटे का वीडियो आया सामने, निर्माण कंपनियों की लापरवाही उजागर

बद्रीनाथ धाम

बद्रीनाथ धाम:

बद्रीनाथ धाम हादसा: पिता को बचाने नदी में कूदे बेटे का वीडियो आया सामने, निर्माण कंपनियों की लापरवाही उजागर|

मंगलवार सुबह बद्रीनाथ धाम स्थित गांधी घाट से एक पिता और पुत्र अचानक नदी में पैर फिसलने के कारण बह गए थे। बताया जा रहा है कि पिता को बचाने के लिए पुत्र ने नदी में छलांग लगा दी थी। हादसे में पिता को तो बचा लिया गया, लेकिन बेटा अभी भी लापता है। इसी बीच, बेटे का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह अलकनंदा नदी में बहता हुआ दिखाई दे रहा है, और उसकी खोजबीन जारी है।

मलेशिया निवासी सुरेश चंद्र और उनका बेटा डॉक्टर बलराज शेट्टी अपने परिवार के साथ बद्रीनाथ धाम आए थे। अचानक सुरेश चंद्र का पैर फिसल गया और वह अलकनंदा नदी में बहने लगे। बेटे डॉक्टर बलराज ने उन्हें बचाने के लिए छलांग लगाई। पिता को तो सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन बेटा नदी के तेज बहाव में बह गया।

इस घटना के बाद निर्माण कंपनियों की लापरवाही भी सामने आई है। मास्टर प्लान के तहत गंगा घाटों के किनारे हो रहे सुरक्षात्मक कार्यों में गाबर कंपनी द्वारा भारी लापरवाही बरती जा रही है। कंपनी पर मलबा अलकनंदा नदी में डालने के आरोप भी लगे हैं, जिस पर स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए हैं, लेकिन कंपनी द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

पूर्व ब्लॉक प्रमुख ज्योतिर्मठ, प्रकाश रावत ने बताया कि बद्रीनाथ जैसी संवेदनशील जगह पर मानकों की अनदेखी की जा रही है और स्थानीय लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है।