कनखुल – घुरेड़ के बच्चे को ग्रामीणों ने बचाया, वन विभाग के सुपुर्द किया

कनखुल – घुरेड़ के बच्चे को ग्रामीणों ने बचाया, वन विभाग के सुपुर्द किया

 

स्थान: ग्राम कनखुल तल्ला, ब्लॉक कर्णप्रयाग, जिला चमोली, उत्तराखंड

रिपोर्ट: टीम खबरसार

 

प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध उत्तराखंड के चमोली जिले से एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसमें इंसानियत और वन्य जीवों के प्रति जागरूकता की एक सुंदर मिसाल पेश की गई।

कर्णप्रयाग ब्लॉक के ग्राम कनखुल तल्ला में एक घुरेड़ (पहाड़ी जंगली बकरी जैसे जानवर) का बच्चा तार की बाड़ में फंस गया था। जैसे ही यह खबर ग्रामीणों को मिली, सामाजिक कार्यकर्ता श्री महिपाल तोपाल और अन्य ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुँचे।

सभी ने मिलकर सूझबूझ से न केवल उस मासूम जानवर को सुरक्षित बाहर निकाला, बल्कि तुरंत वन विभाग को सूचित किया। कुछ ही समय में वन विभाग की टीम मौके पर पहुँची और उन्होंने घुरेड़ के बच्चे को अपने संरक्षण में ले लिया।

वन्य जीव संरक्षण: समाज की जिम्मेदारी

“टीम खबरसार” की विशेष टिप्पणी

इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि जागरूक नागरिक समाज में बदलाव ला सकते हैं। उत्तराखंड जैसे राज्य, जहाँ जंगल, पर्वत और नदियाँ जीवन का हिस्सा हैं, वहाँ वन्य जीवों के साथ संतुलन बनाकर जीना हमारी संस्कृति और जिम्मेदारी दोनों है।

श्री महिपाल तोपाल और ग्रामवासियों का यह प्रयास सराहनीय है। उनके सहयोग से एक मासूम वन्य जीव की जान बची और उसे सुरक्षित वातावरण में वापस लौटाया गया।

हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि जब हम जंगलों में प्रवेश करते हैं या गाँवों के किनारे बाड़ लगाते हैं, तो हमारी गतिविधियों का प्रभाव वन्य जीवों पर भी पड़ता है। ऐसे में अगर कोई जानवर संकट में हो, तो उसे मारने या डराने की बजाय रेस्क्यू कर वन विभाग को सूचना देना ही सही रास्ता है।

टीम खबरसार की अपील

अगर आपके आस-पास कोई वन्य जीव संकट में हो, तो 108 या स्थानीय वन विभाग को तुरंत सूचित करें। अपने बच्चों को भी वन्य जीवन के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाएं। जंगल हमारे पूर्वजों की धरोहर हैं, और वन्य जीव उसमें अनिवार्य भाग हैं। उनकी रक्षा करना हम सबका सामूहिक धर्म है।

ऐसी सकारात्मक घटनाएं समाज में आशा और सद्भाव का संचार करती हैं। टीम खबरसार की ओर से ग्रामीणों और वन विभाग को हार्दिक बधाई और आभार

उत्तराखंड में दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं को मिली मंजूरी

उत्तराखंड में दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं को मिली मंजूरी, श्रद्धालुओं की यात्रा होगी आसान

उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और यात्रियों की सुविधा के लिए गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तथा सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे परियोजनाओं को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इन दोनों परियोजनाओं से श्रद्धालुओं को लंबी और कठिन पैदल यात्रा से राहत मिलेगी तथा यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा।

गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना

हेमकुंड साहिब सिखों के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस तीर्थस्थल को रोपवे सेवा से जोड़ने के लिए 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को मंजूरी दी गई है।

govind Ghat

मुख्य विशेषताएं:

कुल लागत: ₹2,730.13 करोड़

प्रौद्योगिकी: मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (गोविंदघाट से घांघरिया तक) और ट्राईकेबल डिटैचेबल गोंडोला (घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक)

क्षमता: प्रति घंटे प्रति दिशा 1,100 यात्री

इस रोपवे से न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान कम होगा, क्योंकि बड़ी संख्या में ट्रेकिंग और घोड़े-खच्चरों की आवाजाही से पहाड़ी इलाकों में प्रदूषण बढ़ता है।

सोनप्रयाग से केदारनाथ रोपवे परियोजना

भगवान शिव के पवित्र धाम केदारनाथ तक पहुंचने के लिए अब श्रद्धालुओं को कठिन चढ़ाई नहीं करनी होगी। 12.9 किलोमीटर लंबी इस रोपवे परियोजना से यात्रा बेहद सुगम और कम समय में पूरी होगी।

kedarnath

मुख्य विशेषताएं:

कुल लागत: ₹4,081.28 करोड़

क्षमता: प्रति घंटे प्रति दिशा 1,800 यात्री

दैनिक यात्री क्षमता: 18,000 यात्री

यात्रा का समय: 8-9 घंटे की पैदल यात्रा सिर्फ 36 मिनट में पूरी होगी

परियोजना के लाभ:

श्रद्धालुओं के लिए यात्रा अधिक सुरक्षित, आरामदायक और तेज होगी।

पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि रोपवे से पैदल यात्रियों और खच्चरों की संख्या कम होगी।

स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

सरकार का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रियों की सुविधा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये रोपवे चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए सरकार की बड़ी योजनाओं का हिस्सा हैं।

मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगा और तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगा।

 

27 सितंबर इन जिलों में भारी बारिश की संभावना

Uttarakhand weather alert

उत्तराखंड में अगले 4-5 दिनों में मानसून विदा होने की संभावना है

इस साल मानसून सीजन के दौरान बारिश की मात्रा सामान्य के करीब रही। पिछले 24 घंटों में देहरादून, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग सहित कई जगहों पर भारी बारिश दर्ज की गई है। पिथौरागढ़, चमोली और टिहरी में भी तेज बारिश हुई है, और अगले 24 घंटों में इन जिलों में फिर से तेज बारिश की संभावना जताई गई है।

हाल ही में देहरादून सहित मैदानी क्षेत्रों में तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि पहाड़ी जिलों में तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन अब मौसम का पैटर्न बदलने की संभावना है। उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, अगले 24 घंटों में टिहरी, पौड़ी, देहरादून, चमोली और रुद्रप्रयाग में तेज बारिश की संभावना है, जबकि बागेश्वर में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। कुमाऊं में अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में भी तेज बारिश हो सकती है।

27 सितंबर: इन जिलों में भारी बारिश की संभावना

27 सितंबर को बागेश्वर, पिथौरागढ़, नैनीताल और चंपावत में तेज बारिश होने की संभावना है। हालांकि, गढ़वाल मंडल में इतनी भारी बारिश की संभावना नहीं है। 28 सितंबर को नेपाल के मौसम प्रणाली का असर कुमाऊं के जिलों पर दिख सकता है, जिससे तेज बारिश होने की संभावना बनी हुई है।