RAMLEELA – जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला पर कर रहे हैं शोध

RAMLEELA

क्या आप भी जानना चाहेंगे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की RAMLEELA का ऐतिहासिक महत्व

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श्रीनगर: उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक आयोजनों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। यहां आयोजित होने वाले मेले और त्यौहारों का आकर्षण हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसी कड़ी में जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला और यहां की बोली से प्रभावित होकर शोध के लिए सात समुद्र पार आकर यहां की रामलीला पर अध्ययन कर रहे हैं।

पॉल का यह शोध मुख्य रूप से रामलीला के दर्शकों पर केंद्रित है। वह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस पारंपरिक मंचन का दर्शकों पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे इससे क्या सीखते हैं। पॉल के अनुसार, रामलीला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि इसके माध्यम से समाज और लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को भी समझा जा सकता है। उनका शोध पौड़ी, श्रीनगर और अल्मोड़ा की रामलीला के मंचन पर आधारित है।

रामलीला देखने के लिए आए पॉल

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पॉल ने बताया कि दो साल पहले वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोककला एवं सांस्कृतिक निष्पादन केंद्र में उत्तराखंड की संस्कृति को समझने के लिए आए थे। इस बार विशेष रूप से वह रामलीला पर गहन शोध करने के उद्देश्य से पौड़ी और श्रीनगर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि रामलीला का गहराई से अध्ययन करने के लिए इसका मंचन देखना बेहद जरूरी है। इसके बाद पॉल अल्मोड़ा भी जाएंगे।

पौड़ी की रामलीला का ऐतिहासिक महत्व

पौड़ी की रामलीला का अपना एक खास इतिहास है। 1897 में शुरू हुई इस रामलीला को 125 साल पूरे हो चुके हैं और इसे अब तक निरंतर आयोजित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस रामलीला को युनेस्को ने धरोहर की श्रेणी में रखा है। पारसी शैली में मंचित होने वाली इस रामलीला में हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी, अवधि और बृज की चौपाइयों का प्रयोग किया जाता है। वर्ष 2002 से इसमें महिला पात्रों को भी शामिल किया जाने लगा है, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ गया है।

उत्तराखंड की रामलीला पर इस प्रकार का अंतरराष्ट्रीय शोध उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक साबित हो सकता है।

मिसेज उत्तराखंड का खिताब जीता दिल्ली में कर्णप्रयाग की अंजू सती ने ।

मिसेज उत्तराखंड-कर्णप्रयाग की अंजू सती

नगर के देवतोली की रहने वाली अंजू सती ने दिल्ली में आयोजित ब्यूटी कांटेस्ट में मिसेज उत्तराखंड का खिताब अपने नाम किया है। अब अंजू सती दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी। इस कांटेस्ट में पूरे देश से 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जिसमें से 5 प्रतिभागी उत्तराखंड से थे।

मिसेज उत्तराखंड

अंजू सती के पति, डॉ. नरेश सती, जिनका मुख्य बाजार में क्लिनिक है, ने बताया कि ‘प्राइड ऑफ इंडिया‘ नाम की संस्था, जो महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम करती है, ने इस प्रतियोगिता का आयोजन किया था। यह कांटेस्ट कई चरणों में संपन्न हुआ और 22 सितंबर को दिल्ली के एक होटल में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की गई।

इस प्रतियोगिता में टैलेंट सहित कई राउंड्स हुए, जिनमें से उत्तराखंड की 5 प्रतिभागियों में से अंजू सती को मिसेज उत्तराखंड का खिताब दिया गया।

“खबरसार” टीम उनके अगले कॉन्टेस्ट के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करती है|

सिरोबगड़: CHAR DHAM यात्रा के लिए बना चुनौती, भूस्खलन से यात्रा में बाधा-

CHAR DHAM

श्रीनगर, उत्तराखंड – सिरोबगड़, जो CHAR DHAM यात्रा के प्रमुख मार्गों में से एक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है, पिछले कई वर्षों से भूस्खलन के कारण एक जोखिमपूर्ण क्षेत्र बना हुआ रहता है। इस क्षेत्र में होने वाले लगातार भूस्खलनों ने इस वर्ष की बारिश के दौरान भी यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे श्रद्धालुओं और यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़े खतरे उत्पन्न हो गए हैं।

बारिश के मौसम में सिरोबगड़ की पहाड़ियों से बार-बार मलबा और पत्थर गिरने से न सिर्फ यात्रा रुक जाती है, बल्कि कई बार मार्ग भी पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को या तो अपने सफर को रोकना पड़ता है या फिर वैकल्पिक मार्गों से गुजरना पड़ता है, जो समय लेने वाले और जोखिम भरे होते हैं।

CHAR DHAM यात्रा में भूस्खलन के कारण व्यवधान

इस क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या कोई नई नहीं है। हर साल मानसून के दौरान यहां पहाड़ियों से भारी मात्रा में मलबा गिरता है, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और यातायात बंद हो जाता है। सिरोबगड़ में जारी भूस्खलन से चार धाम यात्रा के अलावा स्थानीय लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार वाहनों को घंटों या यहां तक कि दिनों तक वहीं रुकना पड़ता है, जब तक कि सड़क साफ नहीं की जाती।

प्रशासन की तैयारी और चुनौतियां

हालांकि N.H.A.I उत्तराखंड सरकार और प्रशासन ने इस क्षेत्र में भूस्खलन की रोकथाम के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक इन प्रयासों का पूरी तरह से सफल परिणाम नहीं मिल पाया है। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के उपाय, जैसे कि जाली लगाना और पत्थरों को रोकने के लिए दीवारों का निर्माण, कुछ हद तक मददगार साबित हुए हैं, लेकिन भारी बारिश के दौरान यह उपाय भी पर्याप्त नहीं हो पाते।

यात्रियों के लिए चेतावनी और सावधानियां

प्रशासन की ओर से यात्रियों को सिरोबगड़ के आसपास के क्षेत्र में यात्रा करते समय सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। यात्रा के दौरान मौसम की जानकारी प्राप्त करना और प्रशासन द्वारा जारी चेतावनियों का पालन करना आवश्यक है। सिरोबगड़ क्षेत्र में यात्रा करते समय वाहनों को धीमी गति से चलाने और सुरक्षित स्थानों पर रुकने की सलाह दी जाती है।

उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन की टीम लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और सिरोबगड़ में यातायात सुचारू रूप से चलाने के लिए सड़क से मलबा हटाने के प्रयासों में जुटी है। हालांकि, यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालुओं को भी इस क्षेत्र की चुनौतियों को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए।

आगे का रास्ता

सिरोबगड़ में भूस्खलन की समस्या का दीर्घकालिक समाधान अब भी एक चुनौती बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां स्थायी समाधान के लिए भूस्खलन रोकने के बड़े और प्रभावी प्रयासों की आवश्यकता है। जब तक यह समस्या हल नहीं होती, चार धाम यात्रा की राह में सिरोबगड़ एक बड़ी बाधा बना रहेगा, और श्रद्धालुओं को सतर्कता से यात्रा करनी होगी।
सिरोबगड़ का यह भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र चार धाम यात्रा के लिए एक गंभीर चुनौती है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन यात्रियों को भी अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए यात्रा की योजना बनानी चाहिए।

रुद्रप्रयाग: खाई में गिरी मैक्स, पूर्व विधायक ने पहुंचाई मदद

रुद्रप्रयाग जिले के कंडारा से बांसबाड़ा की ओर जा रही एक मैक्स वाहन खाई में गिर गई, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। मौके पर मौजूद स्थानीय लोग तुरंत हरकत में आए और घायलों को वाहन से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसी बीच, वहां से गुजर रहे केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मनोज रावत ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने अपने निजी वाहन से घायलों को सीएचसी अगस्त्यमुनि पहुंचाया, जहां सभी का प्राथमिक उपचार किया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मैक्स वाहन संख्या UK 02 TA 0087 सुबह लगभग 8:42 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वाहन में कुल 7 लोग सवार थे, जिनमें एक दंपति और राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में अध्ययनरत छात्राएं शामिल थीं। ये छात्राएं रोज की तरह अपने गांवों से कॉलेज जा रही थीं, तभी कंडारा रोड पर बांसबाड़ा के पास वाहन अनियंत्रित होकर करीब 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरी।

दुर्घटना की खबर मिलते ही स्थानीय युवक अनुज रावत, जोई राणा, प्रवीण, जितेंद्र और राहुल घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को सुरक्षित निकालकर अपने वाहनों से अस्पताल ले गए। पूर्व विधायक मनोज रावत ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर गंभीर रूप से घायल दो छात्राओं को अपने वाहन से सीएचसी अगस्त्यमुनि पहुंचाया।

घायलों की सूची:

घायल छात्रों में अनुपमा (17 वर्ष), शालिनी (18 वर्ष), महक (18 वर्ष) और आरूषी (17 वर्ष) शामिल हैं, जो सभी कंडारा और दौला गांव की निवासी हैं। इसके अलावा, दंपति गजपाल लाल (59 वर्ष) और उनकी पत्नी सरिता देवी, साथ ही प्रमोद सिंह भी घायल हुए हैं। सभी का इलाज सीएचसी अगस्त्यमुनि में चल रहा है, और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।

The Pahadi News-खबरसार

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