पौड़ी: 15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया कानूनगो, निलंबित

कानूनगो

15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया कानूनगो , निलंबित

श्रीनगर (पौड़ी) – जमीन के सीमांकन के नाम पर 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए एक कानूनगो को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद जिलाधिकारी पौड़ी, डॉ. आशीष चौहान ने आरोपी कानूनगो को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मामले की जांच एसडीएम श्रीनगर को सौंपी गई है, जिनसे जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

रिश्वत की शिकायत पर हुई कार्रवाई


पौड़ी तहसील के अगरोड़ा क्षेत्र के एक ग्रामीण ने विजिलेंस विभाग में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में बताया गया था कि ग्रामीण के पैतृक गांव में उनके पिता की भूमि सहखातेदारों के साथ दर्ज होनी थी, जिसके लिए राजस्व विभाग को सीमांकन और आख्या तैयार करनी थी। लेकिन जब ग्रामीण ने इस कार्य के लिए कानूनगो से संपर्क किया, तो वह इसे लंबे समय तक टालता रहा। बाद में उसने काम के बदले रिश्वत की मांग की और ग्रामीण को पैडुल गांव बुलाया।

रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार
5 अक्टूबर को विजिलेंस टीम ने योजना बनाकर कानूनगो को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। जिलाधिकारी आशीष चौहान ने आरोपी कानूनगो कैलाश रवि को तुरंत निलंबित कर दिया और मामले की विस्तृत जांच एसडीएम श्रीनगर को सौंपी है। डीएम ने यह भी जानकारी दी कि क्षेत्र में नए कानूनगो की तैनाती कर दी गई है।
रिश्वत की शिकायत कैसे करें

विजिलेंस निदेशक वी मुरुगेशन ने बताया कि यदि कोई भी सरकारी या लोक सेवक रिश्वत मांगता है, तो आप टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1064 या व्हाट्सएप नंबर 9456592300 पर इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

 

अचानक हुए भूस्खलन से बाल-बाल बचे मजदूर, भारी खतरे में जोशीमठ का भविष्य

अचानक हुए भूस्खलन से बाल-बाल बचे मजदूर, भारी खतरे में जोशीमठ का भविष्य

चमोली जिले के जोशीमठ से एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां 12 अक्टूबर को हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण स्थल पर भारी भूस्खलन हुआ। यह हादसा सेलंग गांव के नीचे हुआ, जिसमें केसीसी कंपनी की एक मशीन दब गई। गनीमत रही कि वहां काम कर रहे मजदूर बाल-बाल बच गए।

जानकारी के अनुसार, जोशीमठ को बाईपास कर हेलंग-मारवाड़ी ऑल वेदर बाईपास का निर्माण कार्य जारी है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि इस क्षेत्र में विस्फोटकों के उपयोग से पहले ही धरती कमजोर हो चुकी है। लगातार हो रहे इन विस्फोटों को लेकर प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसे भूस्खलन और धरती का कमजोर होना, जोशीमठ नगर के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह घटना धंसते जोशीमठ के लिए एक चेतावनी हो सकती है, जो भविष्य में और भी गंभीर परिणाम ला सकती है।

ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर पिकअप हादसे में 13 घायल

ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर पिकअप हादसे में 13 घायल

ऋषिकेश: रविवार सुबह ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर तोताघाटी के पास एक गंभीर सड़क हादसा हुआ, जिसमें 13 लोग घायल हो गए। यह हादसा एक पिकअप वाहन के पलटने के कारण हुआ, जो कैटरिंग स्टाफ को ले जा रहा था। पिकअप के ब्रेक फेल होने के कारण यह ढलान पर तेज़ी से चलने लगा और सड़क पर पलट गया। गंभीर हालत में चार घायलों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया, जबकि शेष नौ का उपचार ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में चल रहा है।

ऋषिकेश

देवप्रयाग थाने के अधिकारी महिपाल सिंह रावत के अनुसार, यह घटना सुबह करीब 4:45 बजे हुई, जब कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि कोडियाला से 4 किलोमीटर पहले एक लोडर पलट गया है। पुलिस चौकी बछेलीखाल (तीन धारा) से पुलिस बल मौके पर पहुंचा और पाया कि पिकअप सड़क पर पलटा हुआ था। पिकअप का चालक जावेद, जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का निवासी है, एक धार्मिक कार्यक्रम के लिए श्रीनगर से मुजफ्फरनगर लौट रहा था।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रदीप कुमार चंदोला ने बताया कि गंभीर रूप से घायल चार लोगों—चंद्रपाल, सोनू, रजत और साजन—को एम्स रेफर किया गया है। अन्य नौ घायलों की हालत स्थिर है और उनका उपचार जारी है। यह घटना राज्य में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को दर्शाती है, जो क्षेत्र के हाईवे पर सुरक्षा चिंताओं को उजागर करती है।

देहरादून: सीएम योगी आदित्यनाथ की मां की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती, प्रशासन अलर्ट पर

सीएम योगी आदित्यनाथ

देहरादून: सीएम योगी आदित्यनाथ की मां की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती, प्रशासन अलर्ट पर

देहरादून: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मां सावित्री देवी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून के जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, उनकी हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन डॉक्टरों की टीम उनकी लगातार निगरानी कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जल्द ही अपनी मां से मिलने देहरादून आने की संभावना है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है, और जौलीग्रांट एयरपोर्ट से अस्पताल तक पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती, डॉक्टरों की निगरानी में इलाज

सावित्री देवी को दो दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें वार्ड नंबर 111 के कक्ष संख्या 15 में रखा गया है, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनके इलाज में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि सीएम योगी अपनी मां से मिलने जल्द अस्पताल आ सकते हैं। इस संभावना के चलते प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

सीएम योगी आदित्यनाथ

photo credit @amarujala

पहले भी खराब हुई थी तबीयत

80 वर्षीय सावित्री देवी की तबीयत इससे पहले जून 2024 में भी बिगड़ी थी, जब उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। उस समय भी सीएम योगी अपनी मां से मिलने अस्पताल पहुंचे थे।

गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का पैतृक घर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के पंचूर गांव में स्थित है। उनकी मां सावित्री देवी यहीं रहती हैं। हाल ही में तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें देहरादून के जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।

चार धाम यात्रा- चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित हो गई हैं

CHAR DHAM

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा जल्द समाप्त होने वाली है, क्योंकि चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित हो गई हैं। इस वर्ष:

– बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात 9:07 बजे बंद होंगे।
– केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर 2024 को सुबह 8:30 बजे बंद होंगे।
– गंगोत्री धाम के कपाट 2 नवंबर को दोपहर 12:14 बजे बंद होंगे।
– यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के दिन, 3 नवंबर को दोपहर 12:05 बजे बंद हो जाएंगे।

CHAR DHAM

“हरे राम” -बद्रीनाथ दर्शन करने आये तीर्थयात्रियों के साथ पर झूमने लगा बन्दर

बद्रीनाथ धाम में अनोखा दृश्य: ‘हरे राम’ की धुन पर झूमने लगा बंदर

हरे राम

बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड का पवित्र तीर्थ स्थान, हमेशा श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की भावना जगाता है। परंतु इस बार एक अनोखी घटना ने लोगों का ध्यान खींचा और दिलों को छू लिया। केरल से आए तीर्थयात्री जब धाम में दर्शन करने के बाद एक स्थानीय रेस्टोरेंट में भोजन करने पहुंचे, तब उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे वे जीवनभर नहीं भूल पाएंगे।

रेस्टोरेंट में भोजन के दौरान अचानक एक बंदर अंदर आ गया। पहले तो सभी चौंक गए, लेकिन जैसे ही तीर्थयात्रियों में से एक महिला ने ‘हरे राम’ का उच्चारण किया, बंदर मानो उस भक्ति धुन से प्रभावित हो उठा। आश्चर्य की बात यह रही कि जैसे ही भजन की धुन गूँजी, वह बंदर ताल में झूमने लगा। इस अद्भुत और हृदय स्पर्शी क्षण को वहां मौजूद लोगों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया, और देखते ही देखते यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

बद्रीनाथ की यह घटना न केवल भक्ति की महिमा को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि प्रकृति के हर जीव में ईश्वर की उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है।

 

 

श्रीनगर-खिरसू के आसमान में दिखा अद्भुत धूमकेतु, 80 हजार साल बाद लौटी दुर्लभ खगोलीय घटना

धूमकेतु

श्रीनगर-खिरसू के आसमान में दिखा अद्भुत धूमकेतु, 80 हजार साल बाद लौटी दुर्लभ खगोलीय घटना

श्रीनगर-खिरसू के आसमान में एक अद्भुत खगोलीय घटना का नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को रोमांचित कर दिया। 80 हजार साल बाद एक रहस्यमयी धूमकेतु, C/2023-A3, दिखाई दिया। इस बेहद चमकीले धूमकेतु को स्थानीय छायाकार प्रीतम नेगी ने अपने कैमरे में कैद किया। खगोलविदों का मानना है कि यह इस साल की सबसे बड़ी खगोलीय घटना है।

धूमकेतु

 

 

 

 

 

 

 

 

गौर करने वाली बात यह है कि इस धूमकेतु को बिना किसी विशेष यंत्र की मदद से, खुली आँखों से देखा जा सकता था। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी विभाग के प्रोफेसर हेमवती नंदन पांडे ने बताया कि यह धूमकेतु 80 हजार साल बाद फिर से दिखाई दिया है, और इस घटना को आकाशीय घटनाओं में एक ऐतिहासिक पल माना जा रहा है।

( UKSSSC ) उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 751 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए

UKSSSC

( UKSSSC ) उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 751 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ( UKSSSC ) ने समूह ‘ग’ के विभिन्न पदों के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया की घोषणा की है। इसके तहत 751 रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी, जिनके लिए इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर 1 नवंबर 2024 तक आवेदन कर सकते हैं।

रिक्त पदों का विवरण:

1. डाटा एंट्री ऑपरेटर: 3 पद (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अंतर्गत)
2. कम्प्यूटर सहायक सह स्वागतकर्ता: 3 पद (राज्यपाल सचिवालय उत्तराखंड के अंतर्गत)
3. कनिष्ठ सहायक: 465 पद (उत्तराखंड राज्य के विभिन्न विभागों में)
4. स्वागती: 5 पद (राज्य सम्पत्ति विभाग के अंतर्गत)
5. आवास निरीक्षक: 1 पद
6 मेट: 268 पद (सिंचाई विभाग के अंतर्गत)
7. कार्यपर्यवेक्षक: 6 पद

uksssc

चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया में दो चरण होंगे:

1. प्रथम चरण: लिखित प्रतियोगी परीक्षा, जिसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे। यह परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में आयोजित की जा सकती है।
2. द्वितीय चरण: डाटा एंट्री ऑपरेटर, कम्प्यूटर सहायक सह स्वागतकर्ता, और कनिष्ठ सहायक के पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों को टंकण (टाइपिंग) परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी।

परीक्षा की तिथि एवं प्रवेश पत्र

परीक्षा की अनुमानित तिथि आयोग की वेबसाइट और दैनिक समाचार पत्रों में जारी की जाएगी। प्रवेश पत्र केवल आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकेंगे। डाक द्वारा कोई प्रवेश पत्र नहीं भेजे जाएंगे। अभ्यर्थियों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से भी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, इसलिए आवेदन में सही मोबाइल नंबर और ईमेल पता देना अनिवार्य है।

महत्वपूर्ण निर्देश

अभ्यर्थियों को आयोग की वेबसाइट को नियमित रूप से देखना चाहिए ताकि वे चयन प्रक्रिया, परीक्षा कार्यक्रम, और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं से अवगत रह सकें।

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 1 नवंबर 2024 तक खुली है। इच्छुक उम्मीदवार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www.sssc.uk.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

car accidents विद्युत विभाग की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त: एक की मौत, दो घायल

car accidents

car accidents

विद्युत विभाग की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त: एक की मौत, दो घायल

ओखलकांडा (नैनीताल) – 02 अक्टूबर

ओखलकांडा ब्लॉक में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज फिर एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। लूगड़ से तीन किलोमीटर आगे पटरानी पुल के पास एक विद्युत विभाग की गाड़ी करीब 150 मीटर गहरी खाई में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

 इस हादसे में एक युवती की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। मृतक युवती पटरानी की निवासी थी, जबकि घायल स्थानीय क्षेत्र के रहने वाले हैं।

 

 

खबरसार

2 October : उत्तराखंड के लिए काला दिन

2 October

2 October: उत्तराखंड के लिए काला दिन

 

देशभर में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड के लिए यह दिन एक दुखद अध्याय है। 1994 में इसी दिन मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें कई लोग शहीद हो गए और महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी घटनाएं हुईं। इस वीभत्स घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया।

जब पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती पर अहिंसा और सत्याग्रह के आदर्शों का सम्मान कर रहा था, वही 2 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के लिए एक गहरे घाव के रूप में याद किया जाता है। यह दिन उत्तराखंड आंदोलन के उन वीर आंदोलनकारियों की शहादत को समर्पित है, जिन्होंने राज्य की मांग के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मुजफ्फरनगर गोलीकांड ने राज्य आंदोलन को न सिर्फ झकझोर दिया, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लोगों में गुस्से और दुख की लहर दौड़ा दी।

क्या था मुजफ्फरनगर कांड?

उस समय उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में रैली थी, और पहाड़ों से भारी संख्या में लोग शामिल हुए थे। रामपुर तिराहे पर उन्हें रोका गया और लाठीचार्ज के बाद गोलीबारी शुरू हो गई। इस कांड की विभीषिका आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। इस घटना से कई नेता उभरे, लेकिन दोषियों को आज तक सजा नहीं मिल पाई।

2 अक्टूबर 1994 को, जब उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन अपने चरम पर था, मुजफ्फरनगर में प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण रैली के रूप में अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे। दुर्भाग्य से, उस दिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने अहिंसक आंदोलनकारियों पर गोली चला दी, जिसमें कई निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इन आंदोलनकारियों का उद्देश्य केवल यह था कि उत्तराखंड को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान हो सके।

2 October

गांधी के आदर्श और गोलीकांड

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर, जहां पूरा देश अहिंसा, सत्य और शांति की बात करता है, वहीं उत्तराखंड आंदोलन के उन वीर आंदोलनकारियों के लिए यह दिन एक त्रासदी का प्रतीक है। मुजफ्फरनगर की घटना ने गांधी के आदर्शों के विपरीत, एक क्रूरता और हिंसा का चेहरा दिखाया, जिसने उत्तराखंड आंदोलन को और भी मजबूत कर दिया। इस कांड ने न केवल उत्तराखंड के लोगों के मन में गुस्सा भर दिया, बल्कि यह मांग भी तेज हो गई कि पहाड़ी क्षेत्रों को एक अलग पहचान मिले। मुजफ्फरनगर गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में हर साल 2 अक्टूबर को उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धांजलि सभाएं और प्रदर्शन किए जाते हैं। यह दिन उत्तराखंड के लोगों के लिए बलिदान, संघर्ष और एकता का प्रतीक बन चुका है।

उत्तराखंड का सपना

इस गोलीकांड ने आंदोलन की गति को और तेज कर दिया, और अंततः उत्तराखंड को 9 नवंबर 2000 को भारत का 27वां राज्य घोषित किया गया। आज, उत्तराखंड के लोग उन वीर शहीदों को नहीं भूलते, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस राज्य को वास्तविकता में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ये वे वीर आंदोलनकारी थे जिन्होंने 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

1-रवींद्र रावत
2-गिरीश कुमार भद्री
3-सतेंद्र सिंह चौहान
4-सूर्य प्रकाश थपलियाल
5-राजेश लखेड़ा
6-अशोक कुमार कोशिव

2 October

निष्कर्ष

2 अक्टूबर जहां एक ओर पूरे देश के लिए गांधीजी के आदर्शों का दिन है, वहीं उत्तराखंड के लिए यह दिन शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है। यह एक ऐसा काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता, और इस दिन उन आंदोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान को नमन करने का दिन है, जिन्होंने उत्तराखंड को एक अलग राज्य बनाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

श्रीनगर में ABVP ने लहराया जीत का परचम

श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने जीत हासिल की है।

श्रीनगर स्थित बिड़ला परिसर में एबीवीपी के उम्मीदवार जसवंत राणा ने 200 से अधिक वोटों के अंतर से “जय हो” संगठन के उम्मीदवार को हराकर अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया। इस चुनाव में “जय हो” संगठन से वीरेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे, जबकि “इंडियन स्टूडेंट्स वॉइस” से सौरभ चंद्र तीसरे स्थान पर रहे। विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के पद पर भी एबीवीपी के आशीष पंत को जीत मिली।

ABVP

पौड़ी के बीजीआर परिसर में छात्र संघ अध्यक्ष पद पर एबीवीपी की अभिरुचि नौटियाल निर्वाचित हुईं। खास बात यह है कि वह 24 साल बाद यहां की दूसरी महिला अध्यक्ष बनी हैं। इससे पहले 2000 में संतोष रावत पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।

वहीं, बादशाहीथौल के स्वामी रामतीर्थ परिसर में छात्र संघ चुनाव बिना किसी मुकाबले के संपन्न हुआ। यहां अध्यक्ष और महासचिव समेत सभी प्रमुख पदों पर एबीवीपी के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। आदित्य रतूड़ी अध्यक्ष और अनुज सजवाण महासचिव बने।

RAMLEELA – जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला पर कर रहे हैं शोध

RAMLEELA

क्या आप भी जानना चाहेंगे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की RAMLEELA का ऐतिहासिक महत्व

RAMLEELA

श्रीनगर: उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक आयोजनों ने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। यहां आयोजित होने वाले मेले और त्यौहारों का आकर्षण हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसी कड़ी में जर्मनी के पॉल उत्तराखंड की रामलीला और यहां की बोली से प्रभावित होकर शोध के लिए सात समुद्र पार आकर यहां की रामलीला पर अध्ययन कर रहे हैं।

पॉल का यह शोध मुख्य रूप से रामलीला के दर्शकों पर केंद्रित है। वह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस पारंपरिक मंचन का दर्शकों पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे इससे क्या सीखते हैं। पॉल के अनुसार, रामलीला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि इसके माध्यम से समाज और लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को भी समझा जा सकता है। उनका शोध पौड़ी, श्रीनगर और अल्मोड़ा की रामलीला के मंचन पर आधारित है।

रामलीला देखने के लिए आए पॉल

RAMLEELA

पॉल ने बताया कि दो साल पहले वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोककला एवं सांस्कृतिक निष्पादन केंद्र में उत्तराखंड की संस्कृति को समझने के लिए आए थे। इस बार विशेष रूप से वह रामलीला पर गहन शोध करने के उद्देश्य से पौड़ी और श्रीनगर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि रामलीला का गहराई से अध्ययन करने के लिए इसका मंचन देखना बेहद जरूरी है। इसके बाद पॉल अल्मोड़ा भी जाएंगे।

पौड़ी की रामलीला का ऐतिहासिक महत्व

पौड़ी की रामलीला का अपना एक खास इतिहास है। 1897 में शुरू हुई इस रामलीला को 125 साल पूरे हो चुके हैं और इसे अब तक निरंतर आयोजित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस रामलीला को युनेस्को ने धरोहर की श्रेणी में रखा है। पारसी शैली में मंचित होने वाली इस रामलीला में हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी, अवधि और बृज की चौपाइयों का प्रयोग किया जाता है। वर्ष 2002 से इसमें महिला पात्रों को भी शामिल किया जाने लगा है, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ गया है।

उत्तराखंड की रामलीला पर इस प्रकार का अंतरराष्ट्रीय शोध उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक साबित हो सकता है।